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Sunday, October 23, 2011

0247

एक पल तो मुझे देखती शरमाई थी आँखें
आँखों से गुजरता हुवा मुस्कान का साया
शायद मेरी खामोशी ने है केह दिया तुमसे
वो राझ जो मैं तुमसे कभी केह नहीं पाया....

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