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Wednesday, June 17, 2015

0476

तुम मेरे पास थे...हो...और सदा रहोगे,
ख़ुदा का शुक्र है यादों की कोई उम्र नहीं..!!

0475

मेरी ...बिगडी आदतों में ...शुमार है आज़ भी...
तुम्हें सोचना.. तुम्हें चाहना ..और चाहते रहना..!!

Tuesday, June 16, 2015

0474

जैसे तुझे आते है न आने के बहाने ,
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ ..! 

Sunday, June 14, 2015

0473

तेरी तलाश में निकलूं भी तो क्या फ़ायदा.,
तू बदल गया है, खोया होता तो अलग बात थी..

Saturday, June 13, 2015

0472

मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना..
कभी बात करने की हसरत, कभी देखने की तमन्ना..

Wednesday, June 10, 2015

0471

वो भी बहुत अकेला है..शायद मेरी तरह,,
उसको भी कोई चाहने वाला नही मिला...

0470

आ मिल कर ढूँढ ले कोई वजेह फिर से एक होने की..,
यूँ बिछडे बिछडे ना तुम अच्छे लगते हो ना हम..

Tuesday, June 9, 2015

0469

बस एक तुम पे खत्म हो जाता है..
मेरा गुस्सा भी और मेरा प्यार भी..

0468

काश कभी ऐसा भी हुआ होता ......
मेरी कमी ने तुम्हें उदास किया होता ..

0467

दिल से न मिट सका एक ज़माने के बाद भी .,
वो याद आ रहा है आज भूलने के बाद भी.......

0466

उनका हिज्र..उनकी तमन्ना..और..उनकी याद..
कितना कीमती है वक़्त इन दिनों..!!

Monday, June 8, 2015

0465

तुम से जिद करते तो हम मांगते क्या…
खुद से जिद करके तो तुमको मांगा था …

Thursday, June 4, 2015

0464

कुछ अलग सा हो मेरी मोह्हब्ब्त का हाल
तेरी एक चुप्पी..और..मेरे लाखों सवाल..!!

0463

हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं,
उम्र बीत जाती है...दिल को दिल बनाने में...!!

0462

रख दे मेरे होठो पे अपने होंठ कुछ इस तरह,
या तेरी प्यास बुझ जाये..या मेरी साँस रुक जाये…!!

0461

बंद कर दिए है हमने दरवाज़ें भी "इश्क" के
पर एक तेरी याद ही है जो "दरारों" मे से भी चली आती हैं.....!!

Monday, June 1, 2015

0460

आज भी कितना नादान है दिल समझता ही नहीं..
बरसो बाद भी उन्हें देखा तो दुवाए मांग बैठा..

0459

गर मेरी चाहतों के मुताबिक ज़माने की हर बात होती ;
तो बस मैं होता.. तुम होती., और सारी रात बरसात होती !!

Sunday, May 31, 2015

0458

इतना भी न याद आया कर.. कि रात भर सो न सकें हम,
सुबाह सुर्ख आंखों की वजह पूछते हैं लोग......

0457

सदियो का रतजगा मेरी रातों में आ गया,
मैं एक हसीन शख्स की बातों में आ गया.

0456

कितने पीर बाबा.. तांत्रिक बदले…,
पर उसका साया.. मेरे सर से नहीं जाता !

0455

गुनाह किया है मैंने तुझ से इश्क़ करके..।।
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे..।।

0454

वो जो बे-पनाह चाहते थे..
अब सिर्फ पनाह चाहते हैं..

0453

रहने दो अब....तुम मुझे पढ ना सकोगे....
बरसात में भीगे हुए.. कागज की तरह हूँ मैं.....!!

0452

उसने पूछा... कोई आखिरी ख्वाहिश..?
ज़ुबां पे फ़िर... "तुम"  आ गया...!

0451

तेरा बेईमान होना भी क्या गजब था...
न मेरे हो सके.. न किसी और के..!!

0450

मैँ काबिल ए नफरत हूँ तो छोड दे मुझको....
बस मुझसे दिखावे की मोहब्बत ना किया कर…

0449

दूरिया जब बढी तो गल्तफहमियाँ भी बढ गयी. . .
फिर उसने वो भी सुना जो मैने कहाँ भी नही. . .

0448

कुछ हसरतें अधूरी ही रह जायें तो अच्छा है...!
पूरी हो जाने पर दिल खाली खाली सा हो जाता है...!!

Thursday, May 28, 2015

0447

मै जो सर्द हाथों से छुता था तेरे गालो को..
याद आयेगी तुजे दिसम्बर मे शरारत मेरी..

0446

वो जो कहता था.… इश्क़ में क्या रखा है.,
एक हीर ने उसे.… रांझा बना रखा है...

0445

पिछले बरस था ख़ौफ़ तुझे खो ना दूँ कहीं...,
अब के बरस ये दुआ है, तेरा सामना न हो कभी..

0444

मुहब्बत में यूँ ज़बरजस्ती अच्छी नहीं होती,
जब तुम्हारा दिल चाहे तब मेरे हो जाना...!!

0443

न छूटा है दिल लगाना...... न छूटी है तेरी याद .....,
वो इंतज़ार तुम्हारा छूट गया वो मिलना जुलना छूट गया...

0442

खुश मिज़ाजी भी मशहूर थी हमारी , सादगी भी कमाल थी।
हम शरारती भी इन्तहा के थे, अब संजीदा भी बेमिसाल हैं ।।

0441

तुझसे मोह्ब्बत तेरी औक़ात से ज्यादा कि थी ,
अब बात नफरत कि है सोच तेरा क्या होगा...

0440

तुम न थे याद तो कुछ याद न था........
 तुम जो याद आये तो सब याद आ गया।

0439

क्या रोग दे रही है बदलते मौसम कि रुत।
मुझे याद आ रहे हैं मुझे भूल जाने वाले।।

0438

जिसे खुद से ही नहीं फ़ुर्सतें, जिसे ख्याल अपने कमाल का.,
उसे क्या खबर मेरे शौक की, उसे क्या पता मेरे हाल का....

0437

ये इश्क़ का रोग जाता नहीं कसम ले लो,
गले में डाल कर सारे तावीज़ देखे हैं.....

0436

अंजाम की परवाह होती तो मैं इश्क़ करना छोड़ देता....
इश्क़ ज़िद करता है और ज़िद के हम बेताज बादशाह हैं...

0435


ना हमको उनका, न उनको हमारा पता...
लोग कहते हैं हम मोहब्बत में सर तलक डूबे हैं...!!

0434

काश तुम मेरे होते……।
और ये अलफ़ाज़ तेरे होते।

0433

बांसुरी कि धुन पर छेड़ तो दूँ मोहब्बत का रोग...
अब वो हीर कहाँ जिसके लिए मैं राँझा हो जाऊँ ....!

0432

वो जो साँसों से बँधी थी, ज़ंजीर तोड़ दी हमने......
के अब सोया करेंगे हम, मुहोब्बत छोड़ दी हमने...

0431

किसी का इश्क किसी का खयाल थे हम भी,
गये दिनो मै बहोत बा-कमाल थे हम भी....

0430

प्यार था.. मोह्ब्बत थी, इश्क था, अदा थी..
वफा भी होती तो कयामत था वोह शक्स...

0429

मुझे किस तरफ जाना है कोई खबर नहीं...,
मेरे रास्ते भी खो गए मेरी मुहब्बत की तरह..

0428

हिचकियाँ रात भर आती ही रहीं,
 तू ने फिर याद किया हो जैसे....

0427

तुझे पूजा, तेरी दहलीज़ पे सज़दा न किया,
वो मेरा इश्क़ था, ये मेरी ख़ुद्दारी है.......

0426

सर्द फ़िज़ा, सर्द लहज़े और यादों की य़े धुंध ......
बेचैनियों को बढ़ा दिया मार्च की इस बारिश ने..।

0425

तू गया, ख्वाब, जुस्तुजू भी गए..,
.......तुझसे कितने मेरे हवाले थे.!

0424

तेरी-मेरी राहें तो कभी एक थी ही नहीं,
फिर शिकवा कैसा और शिकायत कैसी...

0423

कितना मुश्किल है मुहब्बत की कहानी लिखना..,
............जैसे पानी से पानी पर पानी लिखना....!!

0422

इतना रहे ख़याल सताने के साथ-साथ,
हम भी बदल रहे हैं ज़माने के साथ-साथ ..

0421

कभी टूट कर बिखरो तो मेरे पास आ जाना..
मुझे अपने जैसे लोग बहुत अच्छे लगते हैं...

0420

तुझे खुश भी देखना है... और तुझे देखना भी नहीं है...
फकत मेरे पास ... ज़िम्मेदारियाँ बहुत हैं .........

0419

ज़िन्दगी बस इक ढर्रे पर... आराम से चल रही है...
लगता है तुझे फुर्सत नहीं... आजकल बददुआ मांगने की...

0418

कुछ रिश्ता बारिश का... बादलो से रहा होगा...
वर्ना बूंदों के बिछड़ने पर.. यू बिजली न तड़पती...

0417

तू भूल जा मुझे ... या मुझे भूलने दे...
ज़बरदस्ती के रिश्ते ... अब निभाये नहीं जाते...

0416

है मेरी दास्ताँ छोटी... मगर इतना तजुर्बा है...
गए जो तोड़कर रिश्ता... कभी वापस नहीं आते...

0415

ऎसा ही होता है चाँदनी रातों में,
यादें आकर दिल बहलाने लगती हैं.

0414

वो तो अच्छा हुआ जो... ये जिस्म भगवान ने दिया...
वर्ना इसमें भी तू मिलावट का ... इलज़ाम लगा देता...

0413

हमें दिन तारीख़ तो याद नहीं बस इससे अंदाज़ा कर लो,
हम उस मौसम में बिछड़े थे जब गाँव में झूला पड़ता था !

0413

फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ “इश्क” मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है….!!

0412

न ठहरो मेरे दिल की वादी में चलते चले जाओ,
रूकोगी तो फिर से इश्क कर बैठोगी ..!!

0411

कुछ फर्क था तेरे और मेरे नज़रिए में कल रात...
मुझे देखने की जिद थी और तेरी छिपने की कोशिश...

0410

चलो इस हफ़्ते कुछ ख़त लिखा जाए,
उनके नाम से पहले प्रिय लगाया जाए ।

0409

क्या रोग दे गयी है नये मौसम की ये बारिश.।
मुझे याद आ रहे है, मुझे भूल जाने वाले...।।

0408

कोई उस जैसा नहीं है इन दिनों ...।
वो भी वैसा नहीं है इन दिनों ...।।

0407

मौसम की तरह बदलते हैं उसके इरादे.......
ऊपर से ये ज़िद्द, के मुझ पर ऐतबार करो ...

0406

तुझे झूठ बोलना हम ही ने सिखाया है...!
तेरी हर बात को सच मान-मान कर....!!

0405

वक़्त मिले तो प्यार की किताब पढ़ लेना,
हर प्यार करने वाले की कहानी अधूरी होती है |

0404

एक पुराना खत मिला आज, तेरी खुश्बू में लिपटा हुआ..
 न फाड़ पाया न जला पाया, और दावा करता हू तुझे भूल जानें का.

0403

अगर इश्क है तो कबूल कर लो सरे-आम..
वो जो खंडहरों के पीछे होता है उसे "हवस" कहते हैं.

0402

जिस दिन ख्वाबों मे वो नहीं आते..
 कम्भखत नींद भी नहीं आती...!

0401

न मैं शायर हूँ न मेरा शायरी से कोई वास्ता..
बस शौक बन गया है, तेरी यादों को बयाँ करना.!

0400

यूँ तो बस लिखता हूँ... तो सबको तकलीफ होती है...
अगर किसी ने मेरे शब्दों में तुझे ढूँढ लिया... तो बवाल पक्का है...

0399

अफ़वाह थी कि हमें इश्क हुआ है ,
पर लोगो ने पूछ पूछ कर हमें आशिक़ बना दिया...

0398

सब आदतें छोड़ सकता हूँ ..
तुम्हारे लिये... तुम्हारे सिवा..

0397

गर्मियाँ बीतीं., बरसात गुज़री और सर्दियां भी आ गयीं...
एक तू ही वापस नही आई चले जाने के बाद...

0396

ये साल भी उदास रहा रूठ कर गया.,
तुझे देखे बगैर दिसंबर गुज़र गया...

0395

मेरी शायरी मेरे तजुरबो का इज़हार है और कुछ भी नहीं,
सोचता हूँ की कोई तो संभल जाएगा मुझे पढने के बाद.!!

0394

सारी शिकायतों का हिसाब जोड़ कर रखा था.,
उसने बाहों में लेकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया ।

0393

उस वक़्त , उसके दिल में भी , बहुत दर्द उठेगा ......
 हमसे बिछड़ के , जब हमारे , हमनाम मिलेंगे .....

0392

ये मार्च का पहला दिन बरसता हुआ।
 मेरा दिल तेरी यादों में तरसता हुआ।।

0391

उस वक़्त , उसके दिल में भी , बहुत दर्द उठेगा ......
हमसे बिछड़ के , जब हमारे , हमनाम मिलेंगे .....

0390

जब भी मौसम यूँ.. अचानक से बदल जाता है..
क्या कहूँ.., बिलकुल तुम जैसा लगता है.!!

0389

जमाने के लिए आज होली है...
मुझे तो तेरी यादे रोज़ रंग देती है...!

0388

अबके जो मिलो तो जरा फासले से मिलना...
मैं दिल का मरीज़ हूँ,और हुस्न से परहेज़ करता हु..!!!

0387

मुहब्बत की कहानी को मुकम्मल कर नहीं पाए,
अधूरा था जो क़िस्सा वो अधूरा छोड़ आए हैं....

0386

कुछ यूँ लिखूँ तुझे... लफ़्जों में उतार कर..
कि ज़िंदगी भर वो लफ़्ज़.. ठहरे रहें.. मेरे लबों पर..

0385

क्या समझोगे तुम किसी की बे-नाम मोहब्बत को,
ये इश्क़ का सौदा है सरे-बाजार नहीं होता_!!

0384

तेरी खुशबू तेरी बातें तेरा चेहरा तेरी यादें..
छुपाने को मेरे दिल में हज़ारों कैद खानें हैं !!

0383

मुख़्तसर लम्हों में तू मुझे ढूंढे, ख्वाबों में मैं तुझे,
न तेरी तलाश पूरी हो..., न मेरी प्यास बुझे.!!

0382

तेरी ख़्वाहिश करली, तो कौन-सा गुनाह कर लिया;
लोग तो दुआओं में पूरी कायनात माँग लेते है....।

0381

कभी सोचता हूँ वो क्युँ मिला मुझे...
 फिर सोचता हूँ वो क्युँ नहीं मिला मुझे..

0380

ना हवस उसके जिस्म की... ना शोक उसकी लज़्ज़त का ...
बिन मतलबी सा बन्दा हूँ... उसकी सादगी पे मरता हूँ ..

0379

छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे,
वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है..

0378

तुम मेरे वो लगते हो.,
जो और कोई नहीं लगता ..

0377

 कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे.,
सच कहूँ, वो सिर्फ कहा ही करते थे....

0376

अगर तुम "वजह" ना पूछो तो इक बात "कहूँ".,
बिन "तेरे" अब हमसे "जिया" नहीं जाता.........

0375

देखकर मुझे तेरा युँ पलट जाना...
नफरत बता रही है तुने मुहोब्बत गजब की थी !!!

Wednesday, May 27, 2015

0374

तलाश सिर्फ सुकून की होती हैं,
नाम रिश्ते का चाहें कुछ भी हो..

0373

टूट सा गया है मेरी चाहतों का वजूद..
अब कोई अच्छा भी लगे तो हम इज़हार नहीं करते.

0372

दिल मजबूर हो रहा है तुमसे बात करने को..
बस ज़िद ये है की बात की शुरुवात तुम करो.

0371

इश्क को भी इश्क हो तो मेँ भी देखूं इश्क को....
कैसे तड़पे कैसे रोये इश्क अपने इश्क को....

0370

कुछ उनकी मजबूरियाँ और ....कुछ मेरी कशमकश बस,
यू हीं एक खूबसूरत कहानी को खत्म कर दिया हमने...!! 

0369

बे-बस कर दिया तू ने ...
... अपने बस में करके .......